अफ्रीका में एक बार फिर से वायरस का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। इस बार यह Mpox (मंकीपॉक्स) वायरस है, जिसने अफ्रीकी महाद्वीप के कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया है।आइए जानते है इसके विषय में पढ़ने प्रभावों को विस्तार से।
अफ्रीका में एक बार फिर से वायरस का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। इस बार यह एमपॉक्स (मंकीपॉक्स) वायरस है, जिसने अफ्रीकी महाद्वीप के कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कांगो और अन्य अफ्रीकी देशों में एमपॉक्स के प्रकोप को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। यह निर्णय वायरस के तेजी से फैलने और इसके नए वैरिएंट के उभरने के बाद लिया गया है, जिसने कांगो में स्थिति को और भी चिंताजनक बना दिया है।
Mpox: कांगो में सबसे ज्यादा मामले, नए वैरिएंट का खतरा बढ़ा
Mpox वायरस का नया वैरिएंट कांगो में सबसे अधिक फैल रहा है, जहां 96 प्रतिशत से भी अधिक मामले सामने आए हैं। इस नए वैरिएंट की मृत्यु दर लगभग 3 से 4 प्रतिशत है, जो इसे और भी खतरनाक बनाता है। इस स्थिति ने कांगो और आसपास के देशों में एक बड़े स्वास्थ्य संकट को जन्म दिया है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक, डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेस, ने इस वायरस के प्रसार पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि एमपॉक्स वायरस की यह स्थिति बेहद गंभीर है और अफ्रीका के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में इसके फैलने की संभावना भी बहुत ही चिंताजनक है।
अफ्रीका में 13 देश एमपॉक्स से प्रभावित
वर्तमान में अफ्रीका के 13 देश Mpox वायरस के प्रकोप से जूझ रहे हैं। अफ्रीका रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) ने हाल ही में इस प्रकोप को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। अब तक, इस वायरस के चलते 500 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। अफ्रीका CDC के अधिकारियों ने इस संकट से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि अगर जल्द ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग नहीं मिला, तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
बच्चों पर सबसे अधिक असर
कांगो में Mpox वायरस के प्रकोप ने सबसे अधिक बच्चों को प्रभावित किया है। कांगो में 70 प्रतिशत से भी अधिक मामले 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाए गए हैं। यह बेहद चिंताजनक है कि इन मामलों में 85 प्रतिशत मौतें हुई हैं, जो दर्शाता है कि यह वायरस बच्चों के लिए कितना घातक है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कांगो में एमपॉक्स के मामलों में 160 प्रतिशत और मौतों में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि वायरस का प्रकोप कांगो में तेजी से फैल रहा है और इसे नियंत्रित करने की तत्काल आवश्यकता है।
वैश्विक संकट की ओर बढ़ता एमपॉक्स वायरस
Mpox वायरस का यह प्रकोप केवल कांगो तक सीमित नहीं है। 2022 में, इस वायरस ने 70 से अधिक देशों को प्रभावित किया था। हालांकि, उस समय वैश्विक मृत्यु दर एक प्रतिशत से भी कम थी, लेकिन अब कांगो में फैल रहे इस नए वैरिएंट की मृत्यु दर 3 से 4 प्रतिशत के बीच है, जो इसे वैश्विक स्तर पर एक गंभीर खतरा बनाता है। दक्षिण अफ्रीकी संक्रामक रोग विशेषज्ञ सलीम अब्दुल करीम, जो अफ्रीका CDC आपातकालीन समूह की अध्यक्षता कर रहे हैं, ने कहा कि मंकीपॉक्स अब मध्य अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
कांगो ने मांगी वैक्सीन की 4 मिलियन खुराक
कांगो के Mpox रिस्पांस कमेटी के समन्वयक, क्रिस कैसिटा ओसाको, ने बताया कि कांगो के अधिकारियों ने एमपॉक्स वैक्सीन की 4 मिलियन खुराक की मांग की है। इस वैक्सीन का इस्तेमाल मुख्यतः 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए किया जाएगा, जो इस वायरस से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान ने टीके उपलब्ध कराने के लिए अपनी तत्परता दिखाई है। यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग कांगो और अन्य अफ्रीकी देशों में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
CONCLUSION
अफ्रीका में Mpox वायरस का यह प्रकोप एक बड़े वैश्विक स्वास्थ्य संकट की ओर संकेत कर रहा है। कांगो में स्थिति अत्यधिक गंभीर है, और नए वैरिएंट का उभरना इसे और भी चिंताजनक बना रहा है। WHO और अफ्रीका CDC के अधिकारी इस संकट से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की अपील कर रहे हैं। कांगो में बच्चों की सुरक्षा के लिए टीके की मांग की गई है, जो इस वायरस के प्रकोप को रोकने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। अब यह देखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संकट से निपटने में कैसे मदद करता है।
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