Assam Sarkar ने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण को अनिवार्य करने के लिए नया विधेयक पेश करने की योजना बनाई है। साथ ही, लव जिहाद को रोकने के लिए भी कड़े कानून बनाए जाएंगे। जानें इस नए विधेयक के बारे में पूरी जानकारी।
Assam Sarkar ने एक अहम कदम उठाते हुए मुस्लिम निकाह और तलाक के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए राज्य सरकार आगामी विधानसभा सत्र में ‘मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024’ पेश करेगी। इस विधेयक को राज्य की कैबिनेट ने पहले ही मंजूरी दे दी है, और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस फैसले का औपचारिक एलान किया है।
Assam Sarkar : नए विधेयक का उद्देश्य
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने घोषणा की कि इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य राज्य में बाल विवाह पर लगाम लगाना है। उन्होंने कहा कि Assam Sarkar का उद्देश्य है कि 2026 तक राज्य से बाल विवाह पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए। नया कानून सुनिश्चित करेगा कि 18 वर्ष से कम आयु के लोगों का विवाह पंजीकृत न हो और ऐसे विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही, नाबालिगों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भी यह विधेयक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
Assam Sarkar : काजियों की भूमिका होगी सीमित
विधेयक के अनुसार, अब निकाह और तलाक का पंजीकरण काजियों द्वारा नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री सरमा ने स्पष्ट किया कि यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को कानूनी मानकों के अनुसार सख्ती से लागू किया जा सके और किसी भी प्रकार की अनियमितताओं को रोका जा सके। इस विधेयक के पारित होने के बाद, राज्य में बाल विवाह का पंजीकरण पूरी तरह से अवैध हो जाएगा और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने यह भी घोषणा की कि Assam Sarkar राज्य में लव जिहाद को रोकने के लिए एक अलग कानून भी लाने जा रही है। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा, सरकार अंतर धार्मिक विवाह और भूमि हस्तांतरण के मामलों पर भी ध्यान केंद्रित करेगी और इस पर भी अलग से विधेयक पेश करने की योजना बनाई जा रही है।
समान नागरिक संहिता (UCC) पर जोर
Assam Sarkar का यह नया कदम राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव के बाद, असम सरकार ने राज्य में यूसीसी लागू करने का एलान किया था। मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह विधेयक न केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए बल्कि पूरे राज्य की जनता के हित में लाया जा रहा है, ताकि सभी धर्मों के लोगों के लिए एक समान कानून हो और किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।
असम रिपीलिंग बिल 2024
असम मंत्रिमंडल की हालिया बैठक में ‘असम रिपीलिंग बिल 2024’ को भी मंजूरी दी गई, जिसका उद्देश्य असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करना है। इस विधेयक को भी विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। मुख्यमंत्री सरमा ने वादा किया कि यह विधेयक राज्य में कानून के शासन को और भी मजबूत करेगा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को समाप्त करने में सहायक होगा।
विधेयक का संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया विधेयक राज्य में मुस्लिम समुदाय के लिए विवाह और तलाक के मामलों में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगा। जहां पहले काजियों की भूमिका प्रमुख थी, वहीं अब सरकारी अधिकारी इस प्रक्रिया को संभालेंगे, जिससे पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसके अलावा, लव जिहाद और अंतर धार्मिक विवाह के मामलों में कड़े कानून लागू होने से राज्य में इन मुद्दों पर काबू पाने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
असम सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024’ और लव जिहाद के खिलाफ नया कानून राज्य में सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने राज्य की सुरक्षा और नाबालिगों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इन विधेयकों को लाने का फैसला किया है। अब देखना होगा कि विधानसभा में इन विधेयकों को कितना समर्थन मिलता है और वे राज्य की जनता के जीवन पर क्या प्रभाव डालते हैं।