Central protection act 2022 को लागू करने की मांग पर अड़े डॉक्टर। जानिए इस कानून के प्रावधान, डॉक्टरों की सुरक्षा की आवश्यकता और मौजूदा आंदोलन के कारण।
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए Central protection act की मांग
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना के बाद से डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा गंभीर हो गया है, और डॉक्टर बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर इंसाफ की मांग कर रहे हैं। उनके इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य है सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट 2022 को लागू करवाना, जो कि डॉक्टरों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
Central protection act 2022: क्या है और क्यों है ज़रूरी?
Central protection act 2022, जिसे आधिकारिक तौर पर द प्रिवेंशन ऑफ वॉयलेंस अगेंस्ट हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स एंड क्लिनिकल एस्टेबलिशमेंट्स बिल 2022 के नाम से जाना जाता है, डॉक्टरों और अन्य हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। इस एक्ट के तहत, रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर्स, मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स, डेंटिस्ट्स, नर्सेज़, और पैरामेडिकल स्टाफ जैसे हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को सुरक्षा प्रदान की गई है। इस एक्ट का उद्देश्य उन्हें किसी भी प्रकार की हिंसा, दुर्व्यवहार, या उत्पीड़न से बचाना है।
हिंसा के मामलों में सजा का प्रावधान
इस एक्ट के तहत, अगर कोई व्यक्ति या समूह किसी हेल्थकेयर प्रोफेशनल के साथ हिंसा करता है, उसे काम करने से रोकता है, या किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचाता है, तो यह एक गंभीर अपराध माना जाएगा। इस अपराध के दोषी को कम से कम 6 महीने और अधिकतम 5 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके साथ ही, कम से कम 5 हजार रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
गंभीर चोट के मामलों में सख्त सजा
डॉक्टरों का आंदोलन दिन-ब-दिन उग्र होता जा रहा है। वे 17 अगस्त को देशव्यापी बंद का आह्वान कर रहे हैं, जिसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के डॉक्टर शामिल होंगे। इंडियन मेडिकल काउंसिल ने भी सभी डॉक्टरों से इस आंदोलन का समर्थन करने और ओपीडी, इलेक्टिव सर्विसेज़, और ओटी को बंद रखने की अपील की है। उनकी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करे ताकि भविष्य में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।