Health tips: जानिए कैसे मोटापा किडनी की सेहत को प्रभावित करता है और इससे होने वाले खतरे। किडनी रोग से बचाव के लिए जरूरी आहार नियंत्रण और जीवनशैली में बदलाव के बारे में पढ़ें।
Health tips: मोटापा और किडनी की समस्याएं: क्या है कनेक्शन?
मोटापा एक गंभीर समस्या बन चुका है, खासकर भारत में। ‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण’ (NFHS) के अनुसार, 40% महिलाएं और 12% पुरुष पेट के मोटापे से जूझ रहे हैं। यह समस्या शहरी और बुजुर्ग आबादी में और भी गंभीर रूप से दिखाई देती है। एंड्रॉइड या सेब के आकार का पेट, जिसमें शरीर के ऊपरी हिस्से (जैसे पेट और आंतों) में चर्बी जमा होती है, शरीर के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। इस प्रकार का मोटापा न केवल चयापचय संबंधी रोगों का कारण बनता है बल्कि किडनी की समस्याओं को भी बढ़ावा देता है।
Health tips: किडनी रोग और इसका बढ़ता खतरा
किडनी डिजीज इंप्रूविंग ग्लोबल आउटकम्स’ (KDIGO) के अनुसार, क्रॉनिक किडनी रोग (CKD) को उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है जब कम से कम तीन महीनों तक ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (eGFR) 60 mL/min/1.73 m² से कम हो या किडनी की क्षति के मार्कर (जैसे मूत्र संबंधी असामान्यताएं) दिखाई दें। हमारे देश में किडनी रोग की व्यापकता 3% से 10% के बीच बताई जाती है, जो कि एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री की आवश्यकता को दर्शाता है। हर साल 100,000 से अधिक मरीजों को डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है।
Health tips: मोटापा कैसे प्रभावित करता है शरीर को?
मोटापा शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करता है, खासकर जब यह आंतों में वसा के रूप में जमा हो जाता है। इसके कारण डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी रोग, स्ट्रोक और स्लीप एपनिया जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके साथ ही, मोटापा व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन पर भी बुरा असर डालता है। इसकी वजह से उत्पादकता घटती है और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ता है।
Health tips: मोटापे से जुड़े जोखिम कारक
शरीर की चर्बी को एक “गतिशील अंतःस्रावी अंग” कहा जाता है, क्योंकि यह लेप्टिन और एडिपोनेक्टिन जैसे हार्मोन का उत्पादन करती है। मोटापे में इन हार्मोन्स की क्रियाएं असंतुलित हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप सूजन और इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ता है। इससे डायबिटीज और उच्च रक्तचाप की समस्याएं होती हैं, जो सीधे किडनी पर असर डालती हैं।
Health tips: मोटापा और किडनी पर सीधा असर
मोटापा सीधे किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। इसे ‘मोटापे से संबंधित ग्लोमेरुलोपैथी’ कहा जाता है, जिसमें किडनी पर अधिक भार पड़ता है। इससे ग्लोमेरुलस का आकार बढ़ जाता है और मूत्र में प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ने लगती है। शोध से यह भी पता चला है कि मोटापा क्रॉनिक किडनी रोग के लिए एक स्वतंत्र जोखिम कारक है, जो पहले से मौजूद किडनी रोग को और खराब कर सकता है। यह किडनी स्टोन के खतरे को भी बढ़ाता है और किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी समस्याओं का कारण बन सकता है।
Health tips: मोटापा और डायलिसिस,रिवर्स एपिडेमियोलॉजी
हालांकि, डायलिसिस के मरीजों में मोटापा कभी-कभी बेहतर परिणाम दिखाता है, जिसे “रिवर्स एपिडेमियोलॉजी” कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि डायलिसिस पर मोटे लोगों में कुछ सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं, लेकिन यह केवल एक विशेष परिस्थिति में होता है और लंबे समय तक फायदेमंद नहीं है।
Health tips: रोकथाम ही सबसे बड़ा इलाज
मोटापे से जुड़ी किडनी की समस्याओं को रोकना संभव है, लेकिन इसके लिए पहले से ही कदम उठाने की जरूरत है। जीवनशैली में बदलाव, जैसे कि कैलोरी सेवन को सीमित करना और शारीरिक गतिविधि बढ़ाना, वजन घटाने और किडनी रोग की प्रगति को रोकने में मदद कर सकते हैं।
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Health tips: नई चिकित्सा विधियां और दवाएं
कुछ नई दवाएं भी मोटापा और किडनी रोग के इलाज में उपयोगी साबित हो रही हैं। उदाहरण के लिए, GLP-1 एनालॉग्स और बैरिएट्रिक सर्जरी जैसे उपचार विकल्प किडनी के परिणामों में सुधार ला रहे हैं। इसके अलावा, डायबिटीज की कुछ दवाएं, जैसे मेटफॉर्मिन और एसजीएलटी-2 इनहिबिटर्स, किडनी की सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर रही हैं।
health tips: दवाओं का सही इस्तेमाल जरूरी
हालांकि इन दवाओं के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, लेकिन इन्हें केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए। बिना चिकित्सीय परामर्श के इन दवाओं का सेवन हानिकारक हो सकता है। इसलिए, यदि आप मोटापे से जुड़ी किडनी की समस्याओं से बचना चाहते हैं, तो जीवनशैली में बदलाव सबसे अच्छा उपाय है।
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निष्कर्ष: किडनी और मोटापे के बीच सीधा कनेक्शन
मोटापा सिर्फ एक शारीरिक समस्या नहीं है, यह किडनी की सेहत को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। समय रहते आहार और जीवनशैली में बदलाव करके किडनी रोग की समस्याओं से बचा जा सकता है। चाहे यह कैलोरी नियंत्रण हो या शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाना, किडनी की सेहत को बनाए रखने के लिए सही कदम उठाना बहुत जरूरी है।
FAQs
- मोटापा किडनी को कैसे प्रभावित करता है?
मोटापा किडनी पर बढ़ते कार्यभार के कारण ग्लोमेरुलोपैथी का कारण बनता है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता घटती है। - क्या मोटापा क्रॉनिक किडनी रोग का कारण बन सकता है?
हां, मोटापा क्रॉनिक किडनी रोग का स्वतंत्र जोखिम कारक है और पहले से मौजूद किडनी समस्याओं को बढ़ा सकता है। - क्या वजन कम करने से किडनी रोग की प्रगति रुक सकती है?
हां, कैलोरी नियंत्रण और शारीरिक गतिविधि बढ़ाने से किडनी रोग की प्रगति को रोका जा सकता है। - क्या मोटापा से संबंधित किडनी रोगों के लिए दवाएं हैं?
हां, GLP-1 एनालॉग्स और डायबिटीज की दवाएं, जैसे मेटफॉर्मिन और एसजीएलटी-2 इनहिबिटर्स, किडनी की सेहत को सुधारने में सहायक हो सकती हैं। - क्या दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के बिना किया जा सकता है?
नहीं, इन दवाओं का इस्तेमाल केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए, क्योंकि इनका गलत इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है।