Kolkata docter case में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया। यह टास्क फोर्स देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा और सुविधाओं पर काम करेगी। जानें इस केस से जुड़े अहम अपडेट्स।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में जूनियर डॉक्टर की हत्या और दुष्कर्म के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस मामले ने न केवल पश्चिम बंगाल, बल्कि पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता पैदा की है। 9 अगस्त को मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल से मिली डॉक्टर की अर्ध नग्न अवस्था में लाश ने अस्पताल प्रशासन, पुलिस और सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
Kolkata docter case: मामले की पृष्ठभूमि
कोलकाता में 9 अगस्त की सुबह एक महिला डॉक्टर का शव मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में मिला। घटनास्थल से मृतक का मोबाइल फोन और लैपटॉप बरामद हुआ। 10 अगस्त को संजय रॉय नामक व्यक्ति को इस मामले में गिरफ्तार किया गया। आरोपी की गिरफ्तारी ब्लूटूथ हेडफोन के टूटे तार के आधार पर हुई, जो पुलिस को घटनास्थल पर मिला था।
इस भयावह घटना के बाद, देशभर में डॉक्टरों द्वारा विरोध-प्रदर्शन किया गया। इसके चलते कई अस्पतालों की सेवाएं प्रभावित हुईं। 13 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी, जिसके बाद जांच जारी है।
Kolkata docter case: सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए 20 अगस्त को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में अदालत ने डॉक्टरों की सुरक्षा और अस्पताल में हुए इस जघन्य अपराध पर गंभीर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष की भूमिका पर भी सवाल उठाए और बंगाल सरकार से उनके प्रमोशन पर भी स्पष्टीकरण मांगा।
Kolkata docter case: नेशनल टास्क फोर्स का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स गठित करने का फैसला लिया है। यह टास्क फोर्स डॉक्टरों की सुरक्षा, अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था और चिकित्सकों के कार्यस्थल की स्थिति पर सिफारिशें देगी। कोर्ट ने टास्क फोर्स को तीन सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने में अंतिम रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
Kolkata docter case: टास्क फोर्स की जिम्मेदारियाँ
1. डॉक्टरों और अस्पतालों की सुरक्षा का आकलन: अस्पतालों में सुरक्षा उपायों का परीक्षण और सुधार के सुझाव
2. लैंगिक हिंसा की रोकथाम: डॉक्टरों के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण तैयार करने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना।
3. सीसीटीवी और सुरक्षा उपायों का निरीक्षण: अस्पताल के विभिन्न क्षेत्रों में उचित प्रकाश व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरों की स्थापना, और हथियारों के प्रवेश को रोकने के उपाय।
4. बायोमेट्रिक्स और फेस रिकग्निशन: सुरक्षा बढ़ाने के लिए बायोमेट्रिक्स और फेस रिकग्निशन सिस्टम की तैनाती।
5. डॉक्टरों के लिए विश्राम कक्ष: डॉक्टरों और नर्सों के आराम के लिए विशेष स्थान।
6. रात के समय डॉक्टरों की सुरक्षा: रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक डॉक्टरों के लिए परिवहन सुविधा।
7. संस्थागत सुरक्षा ऑडिट: सुरक्षा उपायों की त्रैमासिक ऑडिट और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
8. पॉश अधिनियम का पालन: चिकित्सा संस्थाओं में आंतरिक शिकायत समिति का गठन।
9. हेल्पलाइन नंबर: आपातकालीन स्थिति के लिए डॉक्टरों के लिए हेल्पलाइन नंबर की उपलब्धता।
निष्कर्ष
Kolkata docter case ने पूरे देश को डॉक्टरों की सुरक्षा पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि इस टास्क फोर्स की सिफारिशें डॉक्टरों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करेंगी।