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दशहरा 1582: जब अकबर के लिए काल बनी महाराणा प्रताप की सेना

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1582 का वर्ष, जब भारत में मुगलों का दबदबा बढ़ रहा था। अकबर अपने साम्राज्य को और विस्तारित करने की कोशिश कर रहा था।

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महाराणा प्रताप, मेवाड़ के वीर और स्वतंत्रता के प्रतीक, मुगलों के खिलाफ खड़े हुए। उनका संकल्प और साहस अद्वितीय था।

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दशहरा के अवसर पर, महाराणा ने अपनी सेना को संगठित किया। उन्होंने 36,000 सैनिकों के साथ युद्ध की तैयारी की।

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युद्ध का आरंभ होते ही, महाराणा प्रताप की सेना ने मुगलों पर आक्रमण किया। उनकी रणनीति और साहस ने मुगलों को चौंका दिया।

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इस निर्णायक युद्ध में, महाराणा प्रताप की वीरता ने 36,000 मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। यह युद्ध इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ बना।

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इस युद्ध के बाद, महाराणा प्रताप ने स्वतंत्रता और स्वाभिमान का प्रतीक बनकर मेवाड़ की भूमि पर फिर से ध्वज फहराया।

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दशहरा 1582 ने यह साबित कर दिया कि साहस और संकल्प से बड़ी से बड़ी ताकत को हराया जा सकता है। महाराणा प्रताप की गाथा आज भी हर भारतीय के दिल में जिंदा है।