– लगभग 4.5 अरब साल पहले, पृथ्वी की रचना एक विशाल गैस और धूल के बादल से हुई, जिसे सौर नीहारिका कहा जाता है। इसी नीहारिका से हमारा सौरमंडल बना।
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– गुरुत्वाकर्षण के कारण यह नीहारिका सिकुड़ने लगी, जिसके केंद्र में सूर्य बना। बची हुई धूल और गैस आपस में मिलकर छोटे-छोटे टुकड़े बनाने लगीं।
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– ये छोटे टुकड़े समय के साथ मिलकर बड़े पिंड बने, जिन्हें ग्रहाणु कहा जाता है। ये ग्रहाणु आपस में टकराकर और भी बड़े पिंडों में बदल गए।
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– लगातार टकराव और संघनन से एक बड़ा पिंड बना जिसे
प्रोटो-पृथ्वी
कहा जाता है। यह एक गर्म, पिघले हुए लावा की गेंद के रूप में थी।
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– एक मंगल के आकार की वस्तु, थिया, पृथ्वी से टकराई। इस टक्कर से निकले मलबे से
चंद्रमा
का निर्माण हुआ।
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– लाखों वर्षों में पृथ्वी ठंडी होने लगी और इसकी सतह पर एक ठोस पपड़ी बन गई। ज्वालामुखी गतिविधियों ने गैसें छोड़कर प्रारंभिक वातावरण बनाया।
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पृथ्वी ठंडी होने पर वायुमंडल की जलवाष्प संघनित होकर महासागर बने। इन महासागरों में पहला जीवन उत्पन्न हुआ, जिससे जैव विकास की शुरुआत हुई।
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