सूर्य ग्रहण के वक्त मंदिर के कपाट बंद क्यों होते हैं

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भारतीय संस्कृति में सूर्य ग्रहण को एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना जाता है। इसे अशुभ समय माना जाता है, जब सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सही तरीके से नहीं पहुंचतीं।

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  इस दौरान कई मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इसका कारण यह है कि धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ को ग्रहण के प्रभाव से सुरक्षित रखा जा सके।

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भारतीय परंपरा में, सूर्य ग्रहण के दौरान शुद्धता का विशेष महत्व है। कपाट बंद करने से मंदिर के वातावरण को शुद्ध बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।

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 ग्रहण के समय भक्तों की सुरक्षा भी एक कारण है। यह माना जाता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है, इसलिए मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाई जाती है।

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सूर्य ग्रहण के समय पूजा और अन्य धार्मिक गतिविधियाँ सीमित होती हैं। भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे ग्रहण के बाद ही मंदिर में जाएं।

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सूर्य ग्रहण को प्रकृति के संतुलन में बाधा डालने वाला माना जाता है। इसीलिए, धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंदिर के कपाट बंद करके प्राकृतिक संतुलन की रक्षा की जाती है।

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ग्रहण समाप्त होने के बाद, मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। तब भक्तों का स्वागत किया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके।

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