हनुमान जी, जिन्हें भक्तों द्वारा संकटमोचन कहा जाता है, की पूजा में श्रद्धा से सिंदूर चढ़ाया जाता है। यह उनकी शक्ति और भक्ति का प्रतीक है।
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कथा के अनुसार, जब सीता जी ने हनुमान जी से राम जी की सलामती की प्रार्थना की, तो उन्होंने अपनी खुशी को व्यक्त करने के लिए सिंदूर का प्रयोग किया।
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सिंदूर, जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, हनुमान जी के प्रति भक्तों की अनन्य श्रद्धा को दर्शाता है। भक्त इस सिंदूर से हनुमान जी को समर्पित कर अपने दिल की बात कहते हैं।
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हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शक्ति का एहसास होता है। यह उन्हें ऊर्जा और साहस प्रदान करता है।
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कई लोग मानते हैं कि हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने से जीवन में आने वाली बीमारियों और संकटों से सुरक्षा मिलती है। यह एक प्रकार से बुरी शक्तियों से रक्षा का उपाय है।
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हनुमान चालीसा का पाठ करते समय भी भक्त सिंदूर चढ़ाते हैं। यह न केवल हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का साधन है, बल्कि मन की शांति का भी जरिया है।
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हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाना न केवल एक धार्मिक कृत्य है, बल्कि यह भक्ति और सच्चे प्रेम का अद्भुत अनुभव भी है, जो भक्तों को एक गहरी संतोष और आंतरिक शक्ति देता है।