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क्यों जलाया जाता है रावण: 

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  रामायण में रावण एक विद्वान और शक्तिशाली राजा के रूप में चित्रित किया गया है, जो अपने अहंकार और दुष्कर्मों के कारण बुराई का प्रतीक बन गया।

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रावण ने सीता का अपहरण किया, जिससे भगवान राम ने उसे हराने का निर्णय लिया। यह घटना दुष्कर्म और अन्याय का प्रतीक बन गई।

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  रावण और भगवान राम के बीच का युद्ध धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई को दर्शाता है, जिसमें अच्छाई की विजय होती है।

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हर साल दशहरा के दिन रावण के पुतले को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है। यह एक सांस्कृतिक परंपरा है।

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  रावण के जलाने का अर्थ है कि हमें अपने अहंकार और बुराईयों को छोड़कर सद्गुणों का पालन करना चाहिए।

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   इस त्योहार में लोग मिलकर रावण का पुतला जलाते हैं, जो सामुदायिक एकता और सहयोग का प्रतीक है।

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 रावण के जलाने का यह उत्सव न केवल धार्मिक है, बल्कि एकता, खुशियों और नई शुरुआत का भी प्रतीक है।