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धान की खेती में ज्यादा पानी भरने से हो सकता है नुकसान, जानें सही सिंचाई के तरीके(2024)

dhan ki kheti

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धान की खेती में पानी का सही प्रबंधन बेहद महत्वपूर्ण है। जानिए, कैसे अधिक पानी से फसल को नुकसान पहुंच सकता है और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, सही सिंचाई के तरीके क्या हैं।

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धान की खेती में पानी का सही प्रबंधन क्यों है जरूरी?

धान की खेती में पानी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। किसानों के बीच यह धारणा है कि धान की बेहतर उपज के लिए खेत में अधिक पानी भरना आवश्यक है। हालांकि, कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि जरूरत से ज्यादा पानी भरने से फसल को गंभीर नुकसान हो सकता है। प्रो. सुनील कुमार के अनुसार, धान के खेत में पानी का सही स्तर बनाए रखना बेहद जरूरी है। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि उपज भी बेहतर होती है।

धान की खेती: क्या होता है ज्यादा पानी से नुकसान?

अधिक पानी भरने से धान के पौधों की जड़ें ऑक्सीजन की कमी का सामना करती हैं, जिससे उनका विकास रुक जाता है। इस स्थिति में पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनकी जड़ें सड़ने लगती हैं। इसके अलावा, अधिक पानी से मिट्टी में मौजूद आवश्यक पोषक तत्वों का क्षरण हो सकता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उपज पर नकारात्मक असर पड़ता है।

जड़ें सड़ने का खतरा:
ज्यादा पानी के कारण धान के पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, जिससे उनका विकास रुक जाता है।

पत्तों का पीला पड़ना:
अत्यधिक पानी के चलते पौधों के पत्ते पीले पड़ सकते हैं, जो उनकी खराब सेहत का संकेत है।

मिट्टी की कठोरता:
अगर मिट्टी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, तो मिट्टी कठोर हो जाती है और पौधों की जड़ों का विकास बाधित हो सकता है।

धान की खेती: विशेषज्ञ की सलाह धान की सिंचाई के सही तरीके

प्रो. सुनील कुमार ने धान की बेहतर उपज के लिए सही सिंचाई प्रबंधन के बारे में महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:

पानी का स्तर बनाए रखें:
धान के खेत में पानी का स्तर 5 सेंटीमीटर तक बनाए रखें। इससे पौधों को आवश्यक नमी मिलेगी और जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सकेगी।

वैकल्पिक सिंचाई तकनीक:
कुछ समय तक खेत को पानी से भरने के बाद सूखा छोड़ दें। इससे मिट्टी में ऑक्सीजन का स्तर बना रहेगा और पौधों की जड़ों का विकास बेहतर होगा।

अतिरिक्त पानी की निकासी:
खेत में अतिरिक्त पानी की निकासी के लिए उचित प्रबंध करें, ताकि पानी का ठहराव न हो और फसल को नुकसान न पहुंचे।

मिट्टी की नमी की जांच:
सिंचाई से पहले और बाद में मिट्टी की नमी की स्थिति का ध्यान रखें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पौधों को न तो अधिक पानी मिल रहा है और न ही पानी की कमी हो रही है।

धान की खेती: फसल उत्पादन पर प्रभाव

अगर खेत में पानी का सही प्रबंधन किया जाए, तो धान की उपज में वृद्धि हो सकती है। प्रो. सुनील कुमार का कहना है कि जिन खेतों में पानी का सही तरीके से प्रबंधन किया जाता है, वहां धान की फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बेहतर होती हैं। इसके अलावा, इससे किसानों को पानी की बचत भी होती है, जो लंबी अवधि में फायदेमंद साबित होती है।

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निष्कर्ष

धान की फसल में पानी का सही प्रबंधन करना बेहद जरूरी है। जरूरत से ज्यादा पानी भरने से फसल को गंभीर नुकसान हो सकता है, जिससे उपज में कमी आ सकती है। इसलिए, विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, पानी का सही स्तर बनाए रखना और सिंचाई के सही तरीकों का पालन करना आवश्यक है। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार होगा, बल्कि पानी की बचत भी हो सकेगी।

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