ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को खारिज करते हुए शरिया कानून की रक्षा का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री मोदी के धार्मिक कानूनों को सांप्रदायिक कहने पर बोर्ड ने गहरी आपत्ति जताई है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने स्पष्ट कर दिया है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) या सेक्युलर सिविल कोड को मुसलमान स्वीकार नहीं करेंगे। बोर्ड ने कहा कि वे शरिया कानून, जिसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के रूप में भी जाना जाता है, से किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल किले से दिए गए भाषण में धार्मिक पर्सनल कानूनों को सांप्रदायिक करार देने पर भी बोर्ड ने नाराजगी जताई है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यूआर इलियास ने एक प्रेस बयान में कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने जानबूझकर यूनिफॉर्म सिविल कोड की बजाय सेक्युलर सिविल कोड शब्द का इस्तेमाल किया, जिससे देश को भ्रमित किया जा रहा है।”
मुस्लिम लॉ बोर्ड का आरोप: पीएम मोदी शरिया को बना रहे हैं निशाना
डॉ. इलियास ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब यह है कि यह पूरे देश में सभी धार्मिक और गैर-धार्मिक लोगों पर समान रूप से लागू होगा। इसमें किसी भी वर्ग, जाति, या आदिवासियों को बाहर करने का कोई प्रावधान नहीं होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सिर्फ शरिया कानून को निशाना बना रहे हैं और दूसरी समुदायों को नाराज नहीं करना चाहते हैं।इलियास का कहना है कि पीएम मोदी ने धार्मिक कानूनों को सांप्रदायिक कहकर न केवल पश्चिमी देशों की नकल की है, बल्कि भारत के धर्मपालक बहुसंख्यकों का भी अपमान किया है।
फैमिली लॉ से छेड़छाड़ धर्म पर हमला
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भारतीय मुसलमानों के फैमिली लॉ शरिया पर आधारित हैं और कोई भी मुसलमान इन्हें तोड़ने के लिए तैयार नहीं है। भारत की विधायिका ने स्वयं इस पर मुहर लगाई है, और शरिया एप्लीकेशन एक्ट, 1937 और संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म के प्रचार और अमल को एक मौलिक अधिकार घोषित किया गया है।
बोर्ड ने आगे कहा कि अन्य समुदायों के फैमिली लॉ भी उनके धार्मिक और प्राचीन परंपराओं पर आधारित हैं। इसलिए, सभी के लिए एक समान धर्मनिरपेक्ष कानून बनाने का प्रयास धर्म पर हमला करने और पश्चिमी देशों की नकल करने जैसा है।
मोदी का लाल किले से UCC पर बयान
15 अगस्त को 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले पर अपने भाषण में देश में सेक्युलर सिविल कोड की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से देश को कम्युनल सिविल कोड से गुजरना पड़ा है और अब सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। मोदी ने कहा कि धर्म के आधार पर बने कानून आधुनिक समाज का निर्माण नहीं करते और यूनिफॉर्म सिविल कोड के माध्यम से धर्म के आधार पर भेदभाव को समाप्त किया जा सकता है।
क्या है शरिया कानून
शरिया, जिसे इस्लामी कानून के नाम से भी जाना जाता है, कुरान, हदीस और पैगंबर मोहम्मद की सुन्नतों पर आधारित नैतिक और कानूनी ढांचा है। यह इस्लामी कानूनों और परंपराओं के हिसाब से जीवन जीने का तरीका निर्धारित करता है।
भाजपा का चुनावी एजेंडा
यूनिफॉर्म सिविल कोड को पूरे देश में लागू करना भाजपा के कोर एजेंडे में हमेशा से शामिल रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणापत्र में भी इसका जिक्र किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कई मौकों पर कहा है कि देश अलग-अलग समुदायों के लिए अलग कानून की प्रणाली के साथ नहीं चल सकता है।